यात्रा लगातार चल रही है यकायक सड़क के किनारे एक छोटे से घर से आवाज़ आती है, राहुल जी रुकिये, प्लीज़ हमारी चाय पी लीजिये, पता नहीं राहुल जी के दिल में क्या आता है कि राहुल जी ठिठक जाते हैं और पूरा कारवॉं रुक जाता है।
राहुल जी के साथ हम चार पॉंच लोग घर के अंदर चले जाते हैं, बमुश्किल 2 कमरों का छोटा सा घर, अंदर चार प्लास्टिक की कुर्सियॉं, हम लोग कुर्सियों पर बैठ जाते हैं, सामने राहुल जी के साथ घर का मालिक बैठ जाता है, एक बड़े से प्लेट में कुछ बिस्किट और कप में चाय आती है, घर की बिटिया एक प्लेट में सबको बिस्किट ऑफर करती है, राहुल जी अपने हाथ से परिवार के सदस्यों को बिस्किट देते हैं, चाय पीते हैं, कैमरे से कई फोटो खिंचती है लेकिन पास कुर्सी पर बैठे हुए परिवार के मुखिया को अपने मोबाइल में तस्वीर लेनी थी, वो मेरी तरफ़ अपना मोबाइल बढ़ा देते हैं, राहुल जी मुस्कराकर फिर उनका हाथ पकड़कर तस्वीर खिंचवाते हैं और फिर पूरी सहजता से विदा लेते हैं, ये सब इतना सहज और अनायास था कि सुरक्षाकर्मी भी हैरान रह जाते हैं, राहुल की सादगी देखकर मेरे मन में एक ही ख़याल आता है, यही वो व्यक्ति है जो इस देश को प्रेम के धागे में जोड़ सकता है।
~इमरान प्रतापगढ़ी